छूटी दोस्ती – मिली नयी सीख

बदलते वक्त ने सब बदल दिया है। जो दोस्त हमारे बिना रह नही सकते थे एक दिन अब वह खुद के पास वक्त ना होने की वजह देते है। ऐसे दोस्तो को समर्पित ।।।

मुझे फिक्र है तो बस इतनी

कही तू भी खो ना जाए औरो की तरह भीड़ मे

नीकाल दिया ये भय मन से क्यूंकि –

जब किसी अपने ने कही जाने की बात कही

मैंने समझा कि वो मेरी राय ले रहे है ।।

पर नादान मै ये भूल बैठी थी कि

लोग सामने वही बात रखते है

जिसे वो पहले सोच चूके होते है ।।

फििर भी मैंने अपना नजरिया बताया

जो उनको पसंद भी आया

लेकिन की उन्होंने अपनी ही ।।

मेरी भावना को तो बस जरीया बनाया

ऐसे करते-करते हो गये सब यार दूर

बस बची मै और उन सबकी यादे

कहने को तो कह गये की फोन पे रहेगे साथ

पर दूर जाते पहले हुए व्यस्त और फिर विलुप्त ।।।

ऐसे दोस्त बनाये मैने ये बात हजम ना आए मुझको

फिर भी ना आने दूगी करवाहट मन मे

और बस अब “इंतजार ना करके देना है खुद का ध्यान”

क्यू की समझ गयी हु– रहना है खुद के लिए प्रधान ।।।।।।।

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19 comments

  1. Today, the virus has changed the way we live. Relations between us will not be the same. Friendship is the most valuable thing and estrangement brings new sensations. Your verses are amazingly sensitive because your soul is like that. And they get to leave a feeling of well-being to the spirit. I loved reading you,
    Manuel (Chile-South America)

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  2. वाह। कितनी खूबसूरत कविता। मजा आ गया पढ़कर। बेहतरीन।

    जब तक एक चॉकलेट में बांट कर हम खाते रहे,
    सच्चा प्रेम वही था और दोस्ती भी,
    एक दिन भी नही मिलते
    चैन नही आता,
    अब तो फोन पर भी कतराने लगे।
    फिर गुरुर कैसा,
    मेरे इतने दोस्त,
    इतने फॉलोवर,
    जो हवा से भी तीब्र गतिमान,
    पता नही कब छू हो जाएं,
    जिसे हम अब अपना बताने लगे।

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    • बिल्कुल। अब लोग तो है फोन लिस्ट और सोशल खुशया , पर ना वो अपनापन है ना ही खुशिया। दिल तो अब भी बचपन याद करके ही खुश होता है । बहुत धन्यवाद आपका😊😃

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